युवा संभालें बागडोर
Wed, 05 Feb 2014
देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा भ्रष्टाचार को देश के विकास में अहम रोड़ा बताना यह दर्शाता है कि शीर्ष पर रहे नागरिक भी इससे कितना आजिज आ चुके हैं। विगत दिवस जम्मू के पुलिस सभागार में उन्होंने न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ सभी को आगे आने के लिए कहा बल्कि उनका यह कहना कि अगर युवा आगे आकर इसे समाप्त करने की बागडोर संभालते हैं तो इससे साबित होता है कि देश की समस्याओं के समाधान के लिए युवा पीढ़ी को अहम भूमिका निभानी होगी। यह सही है कि पिछले कुछ समय में केंद्र व राज्य सरकारों ने सिविल सोसायटी के आंदोलनों के बाद भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कानून बनाए, लेकिन अभी भी इनमें से कइयों को लागू नहीं किया जा सका या फिर कई प्रभावशाली साबित नहीं हो पा रहे हैं। यह सर्वविदित है कि केंद्र सरकार राज्यों में विकास के लिए जो फंड्स भेजती है, उनमें व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार के कारण इसका सही उपयोग नहीं हो पाता है। फलस्वरूप न सिर्फ विकास परियोजनाओं का लोगों को लाभ मिल पाता है बल्कि उनका दीर्घकालिक समय में भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सरकार को यह समझना होगा कि कैंसर का रूप ले चुके भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए समाज में नैतिकता को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। अगर हम जम्मू-कश्मीर की बात करें तो राज्य के युवा मुख्यमंत्री ने पांच वर्ष पूर्व सत्ता संभालने के बाद लोगों में जो उम्मीदें जगाई थी, उन पर खरा नहीं उतर सके। जवाबदेही आयोग, सतर्कता आयोग, पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट बनाने का सरकार श्रेय जरूर लेती है, लेकिन इनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिसने अभी तक अपनी छाप छोड़ी हो। सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाए और इसकी शुरुआत उच्च स्तर से हो। अगर सरकारी विभागों में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार नहीं होगा तो निचले स्तर पर भी कोई साहस नहीं जुटा पाएगा। वहीं, युवा वर्ग को भी चाहिए कि वे पूर्व राष्ट्रपति की सलाह मानते हुए भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए स्वयं आगे आएं और इसकी शुरुआत अपने घर से करें ताकि देश पूरी तरह इस कैंसर से मुक्त होकर विकास के पथ पर आगे बढ़ सके।
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