Sunday 7 September 2014

देश की राजनीति में युवा



उभरती शक्ति पर निगाह   

  Tue, 28 Jan 2014

आगामी चुनाव देश की राजनीति में युवाओं के केंद्र में आगमन का संदेशवाहक है। देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर है। 18-23 आयु वर्ग के करीब 15 करोड़ मतदाता आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। केवल यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम देश के सबसे बड़े जनसांख्यिकी वर्ग की जरूरतों पर ध्यान दें, बल्कि यह भी बहुत जरूरी है कि उन्हें राजनीतिक प्रक्त्रिया में शामिल करें ताकि देश के भविष्य के नियंता बनने के लिए उनका मार्ग प्रशस्त हो सके। इस संबंध में कांग्रेस का स्पष्ट मत है कि युवाओं की भागीदारी को केंद्र में रखे बिना कोई भी योजना टिकाऊ नहीं हो सकती और उसका विफल होना अवश्यंभावी है। कांग्रेस के 128 साल के शानदार इतिहास में इस माह बेंगलूर में कांग्रेस पार्टी के यूथ मेनिफेस्टो 2014 पर विचार एक ऐतिहासिक क्षण था। देश के अलग-अलग भागों और विभिन्न वगरें से भारत के भविष्य को नया आकार देने के लिए युवा एकजुट हुए। इनमें किसानों से लेकर उद्योगपति और देश के शीर्ष संस्थानों के छात्र भी शामिल हुए। विकास के अगले चरण को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के साथ अपने विचार, अनुभव और आकांक्षाएं साझा कीं।  कांग्रेस की यह नवीनतम पहल आकांक्षाओं से लबरेज युवाओं को नया प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगी। अतीत की तमाम पहलों से जुदा हमारा घोषणापत्र कमरे में बैठी किसी कमेटी द्वारा तैयार बुकलेट नहीं होगा, बल्कि यह भारत के लोगों द्वारा सामूहिक रूप से तैयार किया जाएगा। यह कदम पार्टी में राहुल गांधी द्वारा किए जा रहे परिवर्तनों के तहत उठाया जा रहा है। अगर कांग्रेस सवा सौ साल से भी अधिक समय से देश की सेवा करती आ रही है तो इसलिए, क्योंकि यह एक ऐसा संगठन है जो हमेशा सीखता रहता है। कांग्रेस बदलते सामाजिक-राजनीतिक परिवेश और जन आकांक्षाओं के साथ खुद को बदलती रही है। अतीत में अपनी जड़ों को मजबूती से जमाए हुए यह परिवर्तन को आत्मसात करती है और इस प्रकार भारत के अतीत को इसके चमकदार भविष्य से जोड़ती है।  नए भारत की आवाज पुरानी नहीं हो सकती। आखिरकार भारत की औसत आयु महज 24 साल है। हमें भारत के युवाओं की रचनात्मक प्रतिभा को संवारने में सहायता प्रदान करनी ही चाहिए। हमें युवाओं की आकांक्षा के आधार पर उनके लिए भारत निर्माण करना है। युवा वर्ग तब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक हम उसकी आकांक्षाओं पर ध्यान केंद्रित नहीं करेंगे। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि हम युवा भागीदारी के बिना एक स्थायी तंत्र का निर्माण नहीं कर सकते। चुनाव में किसी मसीहा को नहीं चुना जाता है जो हमारी तरक्की के वादे करता हो। निर्वाचित जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जिसके पास देश को बदलने की दृष्टि और क्षमता हो और जिसके पास ऐसे विचार हों जो देश को नई दिशा में ले जा सके।  भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, किंतु हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसे और व्यापक कैसे बनाया जाए। इसके लिए हमें ऐसी योजनाएं और नीतियां तैयार करनी चाहिए कि अगली सरकार आखिरी व्यक्ति की आवाज भी सुन सके। लोकतंत्र को आम जन तक ले जाने का परिणाम होगा सुशासन। इसी से सभी नागरिक गरिमा के साथ जीवन जी सकते हैं और यह सुनिश्चित हो सकता है कि उनकी आवाज सुनी जा सके। प्रत्येक भारतीय, चाहे उसका जो भी पंथ, रंग, क्षेत्र, जाति, भाषा हो सरकार में उसकी बात सुनी जाएगी।  अन्य दल किसी खास पंथ, धर्म, क्षेत्र, भाषा या जाति की आवाज उठाते हैं, लेकिन इसके विपरीत कांग्रेस में समग्र भारत के विभिन्न वगरें के लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता है। प्रत्येक कांग्रेसी इस महती जिम्मेदारी को निभाने के काबिल है, जो हमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद जैसे नेताओं से विरासत में मिली है।  मेरे ख्याल से एक बार में घोषणापत्र तैयार नहीं किया जा सकता। यह लगातार चलने वाली प्रक्त्रिया है। यह सरकार और नागरिकों के अनुभवों का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रक्त्रिया से युवाओं को जोड़ना दरअसल उन्हें यह अवसर प्रदान करना है कि वे भारत के समक्ष मौजूदा चुनौतियों को समझ-परख सकें। युवा हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हैं और यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस ताकत का हर संभव तरीके से ध्यान रखा जाए।  आजादी के बाद अनेक विश्लेषकों ने घोषणा की थी कि भारत का जल्द ही पतन हो जाएगा। लेकिन साढ़े छह दशक से अधिक का समय बीतने के बाद भी न केवल हम लोकतंत्र को बचा पाए हैं, बल्कि हमने इसे कहीं अधिक मजबूत भी किया है। 1948 में जनरल क्लाउड ओचिंलेक ने घोषणा की थी कि एक देश के रूप में भारत के विखंडन की शुरुआत हो चुकी है। 1961 में एल्डाउस हक्सले ने लिखा था कि नेहरू के जाते ही सरकार सैन्य तानाशाही में बदल जाएगी। 1967 में लंदन के द टाइम्स अखबार ने लिखा था कि लोकतांत्रिक ढांचे में भारत के विकास का महान अनुभव विफल हो चुका है। जल्द ही भारत चौथे और निश्चित रूप से आखिरी आम चुनाव के लिए मतदान करेगा। जाहिर है भारत में गहरे तक पैठे लोकतंत्र ने इन तमाम विद्वानों को झुठला दिया है। चौथे की बात तो छोड़िए इस साल देश में 16वां आम चुनाव होने जा रहा है। लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी को मजबूती प्रदान करके कांग्रेस पार्टी और इसके नेताओं ने भारत को एकता के सूत्र में बांधे रखा है।  हमारे संस्थापकों ने भारत के राजनीतिक तंत्र का आधार बालिगों के मताधिकार को बनाया है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जो अन्य पुराने लोकतंत्र भी लंबे संघर्ष के बाद हासिल कर पाए हैं। हमारे देश में महान नेताओं ने गरीब और कमजोर समाज में लोकतंत्र की मजबूत आधारशिला रखी, जबकि राजनीतिक विश्लेषक इसके उलट भविष्यवाणी कर रहे थे। यह अधिकांश विदेशी विश्लेषकों के लिए हैरत की बात है कि हमारा लोकतंत्र बहुसंख्यकतंत्र में नहीं बदला। इसके बजाय भारत जैसे विविधता से भरे देश में इसने पंथनिरपेक्षता को पोषित किया। आजादी के साथ ही कांग्रेस और कांग्रेसनीत सरकारों ने गणतंत्र के सिद्धांतों में विश्वास रखते हुए लोकतंत्र को अधिक व्यापक और गहरा किया है। पार्टी के घोषणापत्र को तैयार करते समय देश के लोगों की सलाह को महत्व देने वाला कदम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। महात्मा गांधी ने लिखा था कि एक सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठे 20 लोगों द्वारा नहीं चलाया जा सकता। इसे हर गांव के लोगों द्वारा नीचे से चलाया जाना चाहिए। इस लक्ष्य ने हमेशा कांग्रेस का मार्गदर्शन किया है। 2014 के चुनाव के लिए जनता का घोषणापत्र तैयार करना इस दिशा में पार्टी का एक और कदम है। 

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