Sunday 7 September 2014

नशे की लत में युवा




भटकती युवा पीढ़ी

Thu, 21 Aug 2014

आज के युवा देश का भविष्य हैं। वे युवा, जिनके कंधों पर देश-प्रदेश को विकास के पथ पर अग्रसर करने का भार होगा, जिन्होंने नेता, इंजीनियर, शिक्षक, वैज्ञानिक बनकर देश की सेवा करनी है। जरूरत है उन्हें सही राह पर ले जाने और उनका बेहतर मार्गदर्शन करने की, इनकी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यो में लगाए जाने के प्रयास करने की। लेकिन कुछ अर्से से हिमाचल में ऐसे मामले सामने आने लगे हैं, जिससे चिंतित होना लाजिमी हो जाता है। नशे की लत में युवा डूबते जा रहे हैं और राह भटकने वालों की तादाद भी कम नहीं है। स्कूली विद्यार्थियों के बैग से आपत्तिजनक सामग्री मिलना व एक स्टेशनरी की दुकान से नशे का सामान बरामद होना सुखद संकेत नहीं हैं। चोरी, लूटपाट और ऐसे कार्यो में नाबालिग संलिप्त पाए जा रहे हैं, जो समाज को झकझोरने के लिए काफी हैं। दुखद है कि युवा पीढ़ी राह भटककर उस राह पर चल रही है, जिसमें अंधेरे के सिवा कुछ नहीं है। उनकी ऊर्जा उन कार्यो में व्यर्थ जा रही है, जिससे रचनात्मक तौर पर कुछ हासिल नहीं होने वाला। नशे की लत से घिरे युवा न अपना भला कर रहे हैं और न ही समाज का। युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन की जरूरत है लेकिन समाज विरोधी ताकतें आसान लक्ष्य मानकर इन्हें पथभ्रष्ट करने पर तुली हैं। यह लोग युवाओं को आसानी से अपने चंगुल में फंसा लेते हैं और इनके जरिये अपनी नापाक गतिविधियों को चलाते हैं। प्रदेश सरकार ने शिक्षण संस्थानों के निकट तंबाकू उत्पाद बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन इस पर मंथन करने की जरूरत है कि इस आदेश का कितना पालन हुआ है। आदेश तो यह भी हैं कि दुकानदार बच्चों को तंबाकू उत्पाद नहीं बेचेंगे लेकिन इस पर भी अमल कितना हो पाया है यह समाज को समझना होगा। सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान प्रतिबंधित है लेकिन इस पर भी पूरी तरह अमल नहीं हो पाया है। युवा पीढ़ी का नशे की दलदल में फंसने का एक कारण समाज भी है। अकसर कहा जाता है कि पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में युवा पीढ़ी नैतिक-अनैतिक में अंतर नहीं समझ पा रही है। अभिभावकों के साथ-साथ नीति नियंताओं को इस गंभीर एवं ज्वलंत मुद्दे पर गहन मंथन करना होगा। बच्चों को नैतिक शिक्षा आचरण से सिखाने के साथ-साथ संस्कारों का ज्ञान देना बहुत जरूरी है। यदि अब भी नहीं संभले तो गंभीर परिणाम भुगतने के लिए समाज को तैयार रहना होगा।
[स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]

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